कैसे-कैसे रो झींककर मिली आजादी आजादी मिलते ही मची मारकाट सिर्फ दो-चार दिन ही रही आसपास फिर तार पर बैठी चिड़िया सी फुर्रऽऽ हो गई गुंडे, भक्त, साहूकार, धन्नासेठ हो गए आजाद हमारे हिस्से में आया खाली तार
हिंदी समय में हरिओम राजोरिया की रचनाएँ